हम तो तेरी बातों से जान गए,
कि तू वो चीज नहीं जो आम हो.
अब एक ही आरजू है मेरी,
कि दिन के कुछ लम्हे तेरे नाम हो.
है तू ही हर चांद की सुबह,
तुझसे ही हर सितारे की शाम हो.
गहरी झीलों का पानी है तू,
कि तू ही उन गहराइयों का परवान हो.
है हर मंजिल की राह तू,
कि तू ही हर रास्ते का मुकाम हो.
तू जरूर है अंबर की हूर परी,
कि तुझ सा ना कोई इंसान हो.
जो करे चांद तुझ पर कभी मुकदमा,
तो हो तू रिहा और चांद पर दाग-ए-इल्जाम हो.
है तू ही हर खूबसूरती की मंजिल,
कि तू ही हर इल्तिजा का अंजाम हो.
है तू ही हर महफिल का अजहर,
कि तुझसे ही हर महफिल-ए-जाम हो.
हम तो तेरी बातों से जान गए,
कि तू वो चीज नहीं जो आम हो.
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