आसमाँ की सारी हसरतें लिए उड़ता हूँ,
जब जाते वक़्त तुझे देखने को मुड़ता हूँ,
हाय, तू पलटने पर मेरे क्या मुस्काती है,
इसी पल की उम्मीद पर तो बिछड़ता हूँ।
Sahil Bhatia.
आसमाँ की सारी हसरतें लिए उड़ता हूँ,
जब जाते वक़्त तुझे देखने को मुड़ता हूँ,
हाय, तू पलटने पर मेरे क्या मुस्काती है,
इसी पल की उम्मीद पर तो बिछड़ता हूँ।
Sahil Bhatia.
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