अक्सर मुझसे ये गलती हो जाती है,
बिना आंसुओं के आँख रो जाती है।
जैसे तुम आने में अक्सर देर किया करती थी, तेरी याद ऐसा नहीं करती.. जैसे तुम मुझे घंटों अकेला छोड़ दिया करती थी, तेरी याद ऐसा नहीं करती.. जैसे तू मेरे ख्यालों में बसना मंजूर नहीं करती थी, तेरी याद ऐसा नहीं करती. पर हां, जैसे तू रातों को मुझे सताया करती थी, है तेरी याद ऐसा करती. जैसे तू मेरा दिल जलाया करती थी, है तेरी याद ऐसा करती. जैसे तू एक पल में मुझे हंसाया रुलाया करती थी, है तेरी याद ऐसा करती. पर अब ना तू आती है ना तेरी याद, लौटी तो लौटी जिंदगी में बस ये इनाद(नफरत)...
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